अमिताभ बच्चन जी की जीवनी बायोग्राफी
नाम: अमिताभ बच्चन
पूरा नाम: अमिताभ हरिवंश राय बच्चन
जन्म: 11 अक्टूबर 1942
जन्म स्थान: प्रयागराज (इलाहाबाद), उत्तर प्रदेश, भारत
पिता: हरिवंश राय बच्चन (प्रसिद्ध हिंदी कवि)
माता: तेजी बच्चन
पत्नी: जया भादुरी (बच्चन)
बच्चे: श्वेता बच्चन, अभिषेक बच्चन
प्रारंभिक जीवन और शिक्षा
अमिताभ बच्चन का जन्म एक साहित्यिक परिवार में हुआ। उनके पिता हरिवंश राय बच्चन एक प्रसिद्ध कवि थे। अमिताभ की प्रारंभिक शिक्षा शेरवुड कॉलेज, नैनीताल से हुई और बाद में उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के किरोरीमल कॉलेज से स्नातक किया। शुरू में अमिताभ का नाम "इंकलाब" रखने का विचार था, लेकिन उनके पिता के मित्र कवि सुमित्रानंदन पंत के सुझाव पर उनका नाम "अमिताभ" रखा गया, जिसका अर्थ होता है – "जो कभी न बुझे"।
फिल्मी करियर की शुरुआत
अमिताभ बच्चन ने अपने फिल्मी करियर की शुरुआत 1969 में फिल्म "सात हिंदुस्तानी" से की। शुरुआत में उन्हें ज्यादा सफलता नहीं मिली, लेकिन 1973 में आई फिल्म "जंजीर" ने उन्हें जबरदस्त लोकप्रियता दिलाई और वे "एंग्री यंग मैन" के रूप में प्रसिद्ध हो गए।
इसके बाद उन्होंने कई हिट फिल्में दीं जैसे:
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शोले (1975)
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दीवार (1975)
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कभी कभी (1976)
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अमर अकबर एंथनी (1977)
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डॉन (1978)
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त्रिशूल (1978)
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सिलसिला (1981)
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कुली (1983) – इसी फिल्म की शूटिंग के दौरान उन्हें गंभीर चोट लगी थी।
राजनीति और व्यक्तिगत जीवन
1984 में उन्होंने राजनीति में कदम रखा और राजीव गांधी के आग्रह पर कांग्रेस पार्टी से चुनाव लड़ा। उन्होंने इलाहाबाद से लोकसभा चुनाव जीता लेकिन राजनीति से जल्द ही निराश होकर 3 साल में इस्तीफा दे दिया।
उनकी पत्नी जया भादुरी भी एक प्रसिद्ध अभिनेत्री रही हैं। उनके बेटे अभिषेक बच्चन और बहू ऐश्वर्या राय बच्चन भी बॉलीवुड में सक्रिय हैं।
टीवी करियर
2000 में उन्होंने टीवी गेम शो "कौन बनेगा करोड़पति (KBC)" की मेज़बानी शुरू की, जिससे उनकी लोकप्रियता का नया दौर शुरू हुआ। इस शो ने उन्हें आम लोगों के और भी करीब ला दिया।
पुरस्कार और सम्मान
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पद्म श्री – 1984
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पद्म भूषण – 2001
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पद्म विभूषण – 2015
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दादा साहेब फाल्के पुरस्कार – 2019
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कई बार राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार और फिल्मफेयर अवार्ड्स से सम्मानित।
वर्तमान स्थिति
आज भी अमिताभ बच्चन फिल्मों, टीवी शोज़ और सोशल मीडिया के माध्यम से सक्रिय हैं। उनकी आवाज, अभिनय और व्यक्तित्व उन्हें पीढ़ियों से जोड़ता है। वे न केवल एक अभिनेता हैं, बल्कि भारतीय सिनेमा के एक जीवित किंवदंती हैं।
बिलकुल, आइए अमिताभ बच्चन जी की जीवनी को आगे विस्तार से पढ़ते हैं:
स्वास्थ्य और संघर्ष
अमिताभ बच्चन का जीवन केवल सफलता की कहानियों से भरा नहीं है, बल्कि इसमें संघर्ष, संकट और पुनर्जन्म जैसी घटनाएं भी शामिल हैं। 1982 में फिल्म "कुली" की शूटिंग के दौरान एक स्टंट सीन करते समय उन्हें गंभीर चोट लगी थी। उनका लिवर फट गया था और वे कई दिनों तक मौत से लड़ते रहे। पूरे देश ने उनके लिए दुआएं कीं। इस घटना के बाद लोग उन्हें "सदी का महानायक" और "फीनिक्स की तरह लौटने वाला" कहने लगे।
एक समय ऐसा भी आया जब उनकी प्रोडक्शन कंपनी ABCL (Amitabh Bachchan Corporation Ltd.) भारी नुकसान में चली गई। वे कर्ज में डूब गए और फिल्मों में वापसी कर के फिर से अपने जीवन को पटरी पर लाए।
सोशल मीडिया और डिजिटल युग में सक्रियता
आज के डिजिटल युग में अमिताभ बच्चन सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स जैसे Twitter, Instagram, Facebook और अपने ब्लॉग के माध्यम से अपने प्रशंसकों से जुड़े रहते हैं। वे अपने विचार, अनुभव, कविताएं और फिल्मों से जुड़ी जानकारी नियमित रूप से साझा करते हैं।
उनकी सोशल मीडिया पर सक्रियता युवाओं और नई पीढ़ी से उनकी गहरी जुड़ाव को दर्शाती है।
अमिताभ बच्चन के कुछ प्रसिद्ध संवाद (डायलॉग्स)
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"आप मुझे ढूंढ रहे हैं? मैं यहीं हूं – विजय दीनानाथ चौहान, पूरा नाम!" – अग्निपथ (1990)
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"हम जहाँ खड़े हो जाते हैं, लाइन वहीं से शुरू होती है।" – कालिया (1981)
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"रिश्ते में तो हम तुम्हारे बाप लगते हैं, नाम है शहंशाह!" – शहंशाह (1988)
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"डॉन को पकड़ना मुश्किल ही नहीं, नामुमकिन है!" – डॉन (1978)
प्रभाव और विरासत
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अमिताभ बच्चन भारतीय सिनेमा के उन कुछ अभिनेताओं में हैं जो 5 दशकों से अधिक समय से सक्रिय हैं।
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उन्होंने 200 से अधिक फिल्मों में काम किया है और हर तरह के किरदार निभाए हैं – एक्शन, रोमांस, कॉमेडी, ड्रामा और समाजिक मुद्दों पर आधारित।
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उन्हें भारतीय सिनेमा का "Shahenshah" और "Angry Young Man" कहा जाता है।
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उनके जैसे व्यक्तित्व वाले अभिनेता विरले ही मिलते हैं – अभिनय, आवाज, शिष्टाचार, और परिपक्वता का अद्भुत मेल।
निष्कर्ष (Conclusion)
अमिताभ बच्चन सिर्फ एक अभिनेता नहीं, बल्कि एक संघर्षशील, प्रेरणादायक और अनुकरणीय व्यक्तित्व हैं। उन्होंने अपनी मेहनत, लगन, और प्रतिभा से यह सिद्ध किया है कि सच्चे कलाकार समय के साथ और भी निखरते हैं। वे भारतीय सिनेमा के स्तंभ हैं और आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा स्रोत बने रहेंगे।