55 की उम्र की महिलाओं में हिपनिक दर्द (जो अक्सर *हिप दर्द* के रूप में होता है) होने के कई कारण हो सकते हैं, और इसके कुछ खास लक्षण भी होते हैं। इसकी समझ के लिए हमें पहले ये जाना जरूरी है कि ये दर्द कहां से आ रहा है और कौन से फैक्टर इसके लिए जिम्मेदार हो सकते हैं।
हिप्निक दर्द के कारण :
1. रजोनिवृत्ति और हार्मोनल बदलाव : जैसी-जैसी महिलाएँ रजोनिवृत्ति के आस-पास पहुछती हैं, उनके शरीर में हार्मोन, खास कर एस्ट्रोजन, का स्तर कम हो जाता है। इसे हड्डी और जुड़ने में सुजान और दर्द हो सकता है। एस्ट्रोजन का काम होना हड्डी की मजबूती को भी कम कर सकता है, जो ऑस्टियोआर्थराइटिस और ऑस्टियोपोरोसिस का जोखिम बढ़ाता है।
2. ऑस्टियोआर्थराइटिस (OA) : 55 साल के आस-पास ऑस्टियोआर्थराइटिस का खतरा बढ़ जाता है, जो एक ऐसी बीमार है जिसमें शामिल होने वाली उपास्थि (जोड़ों को चिकना करने में मदद करती है) थोड़ी या पूरी तरह से नुकसान हो जाती है। इसका दर्द, सुजान और अकड़न होती है, जो अक्सर कूल्हे या घुटनों में होती है।
3. ऑस्टियोपोरोसिस : इसमें हड्डी अपनी शानदार खो देती है, और जब हड्डी ज़्यादा कमज़ोर हो जाती है, तो उसमें फ्रैक्चर या छोटी-छोटी दरारें आ सकती हैं। ये भी कभी-कभी हिप दर्द का कारण बनता है।
4. खराब मुद्रा और वजन बढ़ना : उम्र के साथ अगर शरीर का वजन बढ़ता है और मुद्रा गलत है, तो कूल्हों और जोड़ों पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है, जो दर्द का कारण बन सकता है।
5. शारीरिक गतिविधि की कमी : अगर किसी व्यक्ति को ज्यादा शारीरिक गतिविधि नहीं मिलती, तो वह गतिहीन जीवनशैली जीती है, तो मांसपेशियों और जोड़ों की ताकत कम हो जाती है, और ये भी दर्द का कारण हो सकता है।
6. सायटिका : कभी-कभी हिप दर्द, जो पीठ के नीचे से लेकर जोड़ी तक फैलता है, साइटिका की वजह से होता है। इसमें साइटिक नर्व पर दबाव पड़ता है, जो दर्द का कारण बनता है।
लक्षण :
1. दर्द का अनुभव : अगर दर्द हिप्स में है तो ये अक्सर थोड़ा गहरा और सुस्त होता है। कभी-कभी दर्द की जोड़ी तक भी पहुंच सकती है। आंदोलन के साथ दर्द बढ़ सकता है, जैसे चलें, बैठें या उठें।
2. कठोरता और सीमित गति : अगर आपका कूल्हे का जोड़ सख्त हो गया है, तो आपको अपने दैनिक कार्य, जैसे उठना, बैठना, या चलना, मैं मुश्किल हो सकती हूं।
3. सुजान : हड्डी या जोड़ में सुजान हो सकती है, जो दर्द और बेचैनी का कारण बनता है।
4. जांघ या घुटनों तक फैलने वाला दर्द : दर्द कूल्हे के आस-पास से निकल कर जांघों या घुटनों तक भी जा सकता है, और कभी-कभी पैरों में झुनझुनी और सुन्नता हो सकती है।
उपचार और राहत के लिए सुझाव :
1. फिजिकल थेरेपी : उचित व्यायाम और स्ट्रेच से जोड़ों का लचीलापन और मांसपेशियों की ताकत में सुधार होता है।
2. दर्द निवारक दवाएं : इबुप्रोफेन या पेरासिटामोल जैसे दर्द निवारक दवाओं का उपयोग किया जा सकता है।
3. गर्म/ठंडा सेक : दर्द और गर्मी सेंकने के लिए ठंडा या गर्म सेक लगाना आसान है।
4. जीवनशैली में बदलाव : स्वस्थ वजन बनाए रखना और नियमित रूप से चलना या स्ट्रेचिंग से दर्द कम हो सकता है।
अगर दर्द ज्यादा बढ़ रहा है या लंबे समय तक, तो डॉक्टर से सलाह लेना जरूरी है ताकि उचित निदान हो सके।